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21 Oct 2025 · 1 min read

दीपावली

दीपावली की शुभ कामनाओं सहित
एक गीतिका …….!!!
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दी पा व ली
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दीप का त्यौहार आया नेह के दीपक जला ।
यूँ लगे जैसे दिवाकर तम मिटाने को चला ।।1
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देहरी पर दीप को अपनी जलाना प्रेम से ।
जो चले उसको लगे ज्यों राह का संकट टला ।।2
*
हिरनियों की प्यास को कोई बुझा पाया नहीं ।
गंध कस्तूरी छलावा ने उन्हें बेहद छला ।।3
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हर किसी को हक मिला हँसते हुए जीवन जिये ।
मत किसी का रेतिये यूँ बेरहम होकर गला ।।4
*
एक छोटी सी चिडैया चहचहाती नीड़ में ।
सीखिये उससे जरा क्या जिन्दगी की है कला ।।5
*
सत्य का फैले उजाला झूँठ तम मन से मिटे।
है बुरी लगती मधुर पर झूँँठ है ऐसी बला ।।6
*
‘ज्योति’ अपने हाथ से तू ज्योतिमाला गूँध के ।
पी जमाने का अँधेरा कर भला होगा भला ।।7
***
महेश जैन ‘ज्योति’ ,
मथुरा ।
🪷🪷🪷

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