सोते हुओं को भी जगा देना
दमक का भेद है घिसना, चमक की मूल है ज्वाला,
पटाखों से भरा झोला, दीन के घर गिरा देना।
लक्ष्य की चाह है जिनको उन्हें रॉकेट दो ईश्वर,
घूमना गोल है जिनको उन्हें चकरी थमा देना।
एक रोटी एक पानी, कहानी एक-सी सबकी,
अहम झूठे बड़प्पन का, हृदय से कुछ मिटा देना।
हँसी के सँग रुलाई है, कचौड़ी सँग मिठाई है,
दिवाली पर प्रभो! सोते हुओं को भी जगा देना।।
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