दीप जला दो अंध भगा दो
दीप जला दो अंध भगा दो
घर घर के अब कोना से
दंभ बचे ना स्वाद पकाये
बँट बच कर जग दोना से
संजय निराला
शुभदीपावली
दीप जला दो अंध भगा दो
घर घर के अब कोना से
दंभ बचे ना स्वाद पकाये
बँट बच कर जग दोना से
संजय निराला
शुभदीपावली