Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Dec 2024 · 1 min read

धनी बनो

धनी बनो

दृष्टिकोण और लक्ष्य साधो तुम
सपने को हकीकत करने की ठानो तुम
अनुशासन,संयम की एकसूत्रता में बंधों तुम।

व्यवसाय करो,व्यवसायी बनो
लक्ष्य निर्धारण करो
अपने कारोबार आगे बढ़ाने
भरसक तुम प्रयास करो

नवाचारी बनो जोखिम उठाओ
नवअवसर की तलाश करो तुम
लक्ष्य केंद्रित प्रयास करो तुम।

वित्तीय प्रबंधन में महारत हासिल करो
तब अपने व्यवसाय को विकसित करो।
एक गुना को सौ गुना करो।

नेटवर्किंग से संबंध स्थापित करो
अपने व्यवसाय में सफल लोगों के सूची बनाओ
सबसे भेंट वार्ता करो।
अवसरों की तलाश करो
सलाह को तर्क से जांचों।

शिक्षा में थ्योरी पढ़ो
प्रैक्टिकल करो।
अपने कौशल और ज्ञान को निरंतर विकसित करो

धैर्य और दृढ़ता का परिचय दो।
चैन की सांस लो
थोड़ा रुको।
सोचो फिर आगे बढ़ो।

अपनी व्यवसायिक योजना बनाओ
सबको लक्ष्य और उद्देश्य की परिभाषा बताओ
विज्ञापन करो,मीडिया की सहारा लो,आगे बढ़ो।

प्रतिस्पर्धा का विश्लेषण करो
अपने प्रतिस्पर्धियों का विश्लेषण करो
अपना बाजार बनाओ काम आने वाली रणनीतियों को सीखो

ग्राहक पूजनीय होते है
सम्मान करो
हर संभव उत्कृष्ट सेवा प्रदान करो।
यह आपको अपने व्यवसाय को विकसित करने में मदद करेगा।

नैतिकता और पारदर्शिता
में एकात्म हो जाओ।
ग्राहकों का विश्वाश हासिल करो।
भागीदारों को भी यकीन दिलाओ।

स्वस्थ रहने के लिए मशरूम खाओ
मशरूम उगाओ
बड़े पैमाने पर इसे ले जाओ
मशरूम उत्पादन कर पैसे कमाओ
साल भर में धनी बन जाओ।

पैसे आने के बहुआयाम है
व्यवसाय शुरू करो कई काम है।
सबके मिलते दाम है,
समय बड़ा बलवान है।
धरनी बड़ा धनवान है।

श्री संतोष कुमार मिरी”कविराज”
रायपुर छत्तीसगढ़।

Language: Hindi
52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

* धरा पर खिलखिलाती *
* धरा पर खिलखिलाती *
surenderpal vaidya
दोहे
दोहे
Dr.Priya Soni Khare
कल?
कल?
Neeraj Kumar Agarwal
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
Phool gufran
कौन हुँ मैं?
कौन हुँ मैं?
TARAN VERMA
सूर्य देव की अरुणिम आभा से दिव्य आलोकित है!
सूर्य देव की अरुणिम आभा से दिव्य आलोकित है!
Bodhisatva kastooriya
चुपके से मिलने आना
चुपके से मिलने आना
Praveen Bhardwaj
तुझमे कुछ कर गुजरने का यहीं जूनून बरकरार देखना चाहता हूँ,
तुझमे कुछ कर गुजरने का यहीं जूनून बरकरार देखना चाहता हूँ,
Ravi Betulwala
रखो भावना श्रेष्ठ
रखो भावना श्रेष्ठ
लक्ष्मी सिंह
"ऊंट पे टांग" रख के नाच लीजिए। बस "ऊट-पटांग" मत लिखिए। ख़ुदा
*प्रणय*
वर्दी (कविता)
वर्दी (कविता)
Indu Singh
परिणाम से पहले
परिणाम से पहले
Kshma Urmila
तकते थे हम चांद सितारे
तकते थे हम चांद सितारे
Suryakant Dwivedi
और हो जाती
और हो जाती
Arvind trivedi
हवस दिमाग से पैदा होती है और शरीर के रास्ते बाहर निकलती है द
हवस दिमाग से पैदा होती है और शरीर के रास्ते बाहर निकलती है द
Rj Anand Prajapati
चेहरा ।
चेहरा ।
Acharya Rama Nand Mandal
..              हम जिस दौर में जी रहे हैं उसमें बिछड़ते वक़्त
.. हम जिस दौर में जी रहे हैं उसमें बिछड़ते वक़्त
पूर्वार्थ
"सोच खा जाती हैं"
ओसमणी साहू 'ओश'
मैं चंद्रमा को सूर्योदय से पूर्व सूर्यास्त के बाद  देखता हूं
मैं चंद्रमा को सूर्योदय से पूर्व सूर्यास्त के बाद देखता हूं
SATPAL CHAUHAN
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
sp 19 साहित्य में रस
sp 19 साहित्य में रस
Manoj Shrivastava
15)”शिक्षक”
15)”शिक्षक”
Sapna Arora
सत्य वर्तमान में है और हम भविष्य में उलझे हुए हैं।
सत्य वर्तमान में है और हम भविष्य में उलझे हुए हैं।
Ravikesh Jha
मालपुआ
मालपुआ
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
चेतावनी
चेतावनी
आशा शैली
4511.*पूर्णिका*
4511.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आओ प्यारे कान्हा हिल मिल सब खेलें होली,
आओ प्यारे कान्हा हिल मिल सब खेलें होली,
सत्य कुमार प्रेमी
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
"बच सकें तो"
Dr. Kishan tandon kranti
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित मुक्तक काव्य।
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित मुक्तक काव्य।
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
Loading...