लक्ष्मी गणेश पूजिए, मन-चित हर्षोल्लास।
लक्ष्मी गणेश पूजिए, मन-चित हर्षोल्लास।
दीपोत्सव का पर्व है, आया बनकर खास।।
दीप दान का पर्व है, नहीं कहीं तम वास।
पथ आलोकित कर सदा, भरता दृढ़ विश्वास।।
बाहर जलता दीप है, टूटा तम का साँस।
अंतस में भी प्रेम का, रखिए सदा उजास।।
बाहर अंदर सम रहें, करती लक्ष्मी वास।
नारायण की कृपा से, मिलता है उल्लास।।
जैसे माला दीप का, करते सब विन्यास।
“पाठक” अपने हृदय में, सबको रखते पास।।
:- राम किशोर पाठक (शिक्षक/कवि)