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19 Oct 2025 · 2 min read

मध्यप्रदेश कि मोहन यादव सरकार और ओबीसी आरक्षण विवाद पर विष्लेषण।

मध्यप्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या लगभग 55-60% हैं लेकिन आरक्षण मात्र 14% प्रभावी है बाकी के 13% पर रोक है लेकिन सवर्ण मात्र 10-12% होंगे तो उनके लिए जनरल का 40% और ईडब्ल्यूएस का 10% हैं कुल मिलाकर सवर्णों के पास 50% उपलब्ध है तो बहुत तर्कों की बात करने वाले ये बताएं कि ये कौन से आधार पर सही है। वर्तमान में देश में जातिगत आरक्षण ही है ना।

मैं जिसकी जीतनी जनसंख्या उसका उतना हक की बात नहीं कर रहा लेकिन जो लोग मध्यप्रदेश की जनसंख्या का 15% भी नहीं हैं उनके लिए सिधे 50% है तो ये बाकि लोगों के साथ घोर अन्याय है। इससे तो अच्छा है कि आरक्षण आर्थिक आधार पर कर दिया जाए। पर जब तक ये नहीं हो रहा है ओबीसी समाज को उसका हक मिलना चाहिए।

आज मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी को वो लोग गाली दे रहे हैं जो लोग सुबह साम हिन्दू एकता का गाना गाते हैं और बटोगे तो कटोगे समझाते रहते हैं। मैं महाजन आयोग की प्रभु श्रीराम को लेकर जो बात है उसका पुरा विरोध करता हूं इसमें कोई किन्तु परन्तु नहीं है। ना मैं किसी भी तरह से सवर्ण विरोधी हूं और ना इसकी कोई आवश्यकता समझता हूं और ना मुझे समझा जाना चाहिए।

आज जो लोग श्री मोहन यादव जी पर निजी हमले कर रहे हैं उन्हें याद रखना चाहीए की ये सब कुछ मध्यप्रदेश और पुरे देश का ओबीसी समाज देख रहा है। आप मोहन यादव की आलोघना नहीं कर रहें हैं बल्कि पिछड़ी जातियों के लिए आपके मन मे जो अंतर्निहित घृणा है उसका प्रदर्शन कर रहे हैं।

मैं निजी तौर पर मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव सरकार का हर संभव समर्थन करता हूं कि आखिर वो प्रयास तो कर रहे हैं ओबीसी समाज का उनका वास्तविक प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए। शिवराज सिंह चौहान जी जैसे रीड विहीन नेता से मध्यप्रदेश को छुटकारा मिल गया जो चुनाव के दौरान खुद को ओबीसी समाज का मसीहा होने का दिखावा कर ओबीसी का वोट तो प्राप्त कर लेते थे लेकिन हक देने की बात पर नाग की तरह कुंडली मारकर बैठे थे।

शिवराज सिंह चौहान के कई कार्य बहुत उत्तम थे लेकिन उन्होंने ओबीसी समाज की अनदेखी की यह बात सर्वथा सत्य है। आज कम से कम मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव के रुप में एक उम्मीद तो जगी है कि शायद वो हजारों अभ्यार्थि अपना हक प्राप्त करले जो कई वर्षों से चयनित होने के बाद भी प्रतिक्षा कर रहे हैं।

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