वृक्ष
शहर के चकाचौंध में
वृक्ष कहां है दिखते
उसके एक झलक पाने को
लोग मीलों सफर है करते
हरियाली की सारी परिभाषा
गुम होती जा रही
वृक्ष कट रहे हैं बेदर्दी से
और इमारतें बढ़ती जा रही
वृक्ष न होगा जीवन में
तो प्राणवायु कहां से लाओगे
सूर्य की तीखी किरणों में
छाया कहां से पाओगे
नन्हे चिड़ियों के घोंसले
या गिलहरियों के घर
गिर रहे जमीन पर
और बिछड़ रहे हैं सब
हर उपवन की शोभा वह
एहसास का दूसरा साया वह
खत्म करके उसके वजूद को
अपना वजूद तलाशते हो
जीवन देने वाले के साथ
ऐसा क्रूर व्यवहार न करो
जिसका जीवन है दूसरों की सेवा
उसे तुम आबाद करो
उसे तुम आबाद करो