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6 Oct 2025 · 1 min read

रात कोजागरी

रात कोजागरी

उलझ-उलझ कर मेघ से, चंदा हुआ उदास।
मेघों रस्ता दो उसे, तकती रजनी आस।।

चलीं भ्रमण पर लक्ष्मी, धरे अधर पर मौन।
आज रात कोजागरी, जाग रहा है कौन ?।।

© सीमा

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