रात कोजागरी
रात कोजागरी
उलझ-उलझ कर मेघ से, चंदा हुआ उदास।
मेघों रस्ता दो उसे, तकती रजनी आस।।
चलीं भ्रमण पर लक्ष्मी, धरे अधर पर मौन।
आज रात कोजागरी, जाग रहा है कौन ?।।
© सीमा
रात कोजागरी
उलझ-उलझ कर मेघ से, चंदा हुआ उदास।
मेघों रस्ता दो उसे, तकती रजनी आस।।
चलीं भ्रमण पर लक्ष्मी, धरे अधर पर मौन।
आज रात कोजागरी, जाग रहा है कौन ?।।
© सीमा