कहानी जिस पक्ष से सुनेंगे,वही सत्य प्रतीत होगा। इसलिये दोनों
कहानी जिस पक्ष से सुनेंगे,वही सत्य प्रतीत होगा। इसलिये दोनों पक्षों की कहानी सुनकर ही कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है।
पारस नाथ झा
कहानी जिस पक्ष से सुनेंगे,वही सत्य प्रतीत होगा। इसलिये दोनों पक्षों की कहानी सुनकर ही कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है।
पारस नाथ झा