Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Oct 2025 · 1 min read

कुंडलिया. . . .

कुंडलिया. . . .

रोटी से बढ़कर नहीं, जग में कुछ नादान ।
इसकी खातिर जिस्म का, बिक जाता ईमान ।।
बिक जाता ईमान , धर्म भी लगता छोटा ।
रोटी का जब यार, पेट में होता टोटा ।।
कड़वा बड़ा यथार्थ, बात यह लगती छोटी ।
सच मानो भगवान , बड़ी है जग में रोटी ।।

सुशील सरना /

Loading...