सिर्फ मेरे बनकर मिलना…
उस दिन मुझसे मिलना, तुम
जब सिर्फ मेरे हो तुम
ना किसी भ्रम में,
ना किसी और की परछाई में,
बस मेरे…
ख़यालों में,
ख्वाबों में,
दिल की सबसे गहरी परतों में,
समंदर की लहरों में,
दीये की धीमी रोशनी में…
तुम उस दिन आना,
जब तुम्हारे भीतर कोई और नाम न गूंजे,
जब तुम्हारी आँखों में सिर्फ मेरा अक्स हो,
और तुम्हारे अंतर्मन में सिर्फ मेरा स्पर्श…
तब मैं भी मिलूंगा
बिलकुल वैसे ही…
जैसे पहली बार चाहा था तुम्हें,
निर्विकार, निर्विवाद…
सिर्फ तुम्हारा …