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14 Oct 2025 · 1 min read

कुण्डलिया छंद

!! श्रीं !!
सुप्रभात!
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
🙏
भरता जिसके मन अहम्, वह प्राणी दुख पाय।
देखे दूजे को नहीं, तनिक कभी मुस्काय।।
तनिक कभी मुस्काय, सदा रहता है अकड़ा।
झुके न झुकने पाय, अहम् ने जिसको जकड़ा।
‘ज्योति’ अहम् का भाव, बुद्धि को दूषित करता।
कभी न करिये अहम्, क्लेश मन में है भरता।।
***
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा।
🌷🌷🌷

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