तेरे ख्याल को भुला दिया मैंने
तेरे खयाल को दिल से भुला दिया मैंने
चलो ये जहर भी पीकर दिखा दिया मैंने
तुम्हारे दर्द को कुछ यूं छुपा के रखता हूं
किसी से कुछ न कहा मुस्कुरा दिया मैंने
ये कब्रगाह की मानिंद हो गया है दिल
हर एक दर्द को उस में दबा दिया मैंने
उदासियां भी बहुत देर तक नहीं रहती
तेरे बगैर भी हंस कर दिखा दिया मैंने
किसी के वास्ते कोई जगह बची ही नहीं
किताबे दिल से तुझे भी हटा दिया मैंने
तेरे ख्याल की खुशबू भी अब नहीं आती
तो इन हवाओं से रिश्ता मिटा दिया मैंने
तुम्हारे नाम की बैसाखियों को फेंक दिया
अकेले दम पे भी चलकर दिखा दिया मैंने
तेरी जुदाई ने ‘अरशद’ थका दिया इतना
कि रोते-रोते ही ख़ुद को सुला दिया मैंने