प्रेम के साथ दुर्व्यवहार
जर्जर, झुर्रीयों युक्त, झुका हुआ वृद्ध
जो जीवन के
सा-रे-ग-मा में उलझकर
वृद्ध होने का जो जोखिम भी
नहीं उठा सकता…
सोचता है मुझे भी समय के वर्तमान चलन के साथ तो चलना ही होगा,
वो भी बेचता है
चौक चौराहे पर एक लाल गुलाब
मात्र—–10/15/ या 20 रुपए में
जो भूल जाता है अपनी पत्नी को,
जिसने गुलाब बेचते हुए किसी चौराहे पर दे दी थी अपनी जान…
भूल जाता है अपनी अधेड़ उम्र की बेटी का अस्थमा,
और हाथ में गुलाब लिए करता है
मोटर-कार के समक्ष आकर
10/15 की याचना…
मैं एक प्यार में डूबा हुआ वृद्ध हूँ
मेरे पास एक पैसा भी नहीं…
जंगली घोड़ों सी उभरी हुई आँखों वाली ‘बदसूरत’ बालाएं
अपनी जेब में लिए बैठी हैं हजारों रुपए
लाखों की मोटर कार में…
वृद्ध इंसान कस्तूरी के लिए
करता है पीछा नीम की खुशबू का
कौन कह सकता है कि
प्रेम एक चमत्कार है…?
कौन कह सकता है कि
प्रेम ही सब कुछ है…?
प्रेम गुरु प्रेम में डूबने का दे रहे हैं आदेश…
क्योंकि प्रेम ही सब कुछ है
भूमि, गगन, वायु, अग्नि, नीर
फूल, पत्ते, चाँद, सितारे,
आँखें, होंठ, वक्ष, नितंब
पूर्णतः
तैयार किया हुआ चरमसुख संभोग…
किसी दिन, बूढ़ा वैलेंटाइन समाधि से उठेगा
हमारे हाथों से गुलाब छीन
मारेगा वह हमारी छाती पर एक मुक्का
तब हम अपने इस्पाती दिलों की
धड़कन सुन सकेंगे,
और महसूस कर सकेंगे कि हमने
प्रेम के नाम पर
प्रेम की कितनी की है उपेक्षा
कितना किया है, प्रेम का अनादर
कितना किया है प्रेम के साथ दुर्व्यवहार….