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8 Jun 2025 · 1 min read

तब जमाना कहेगा

पिता के जूते पहनकर
नहीं पहुँच सकते
अपनी मंजिल पर
नहीं लिख सकते
कोई सुन्दर इतिहास
नहीं दिख सकते
गहराइयों में उभरकर
नहीं सीख सकते
अमरकथा का अध्याय

जो उतार फेंकेगा
अपने पैरों से
अपने पिता के जूते
जो तलाश करेगा
अपने पैरों के लिए
अपनी माप के जूते

वही चल सकेगा
मंजिल की ओर
वही बना पायेगा
अन्धेरों को चीरकर
अपनी खुद की राह
तब जमाना कहेगा
क्या बात है
वाह भाई वाह !

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
( साहित्य वाचस्पति )
साहित्य और लेखन के क्षेत्र में
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।

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