"पहलगाम त्रासदी" (दिनांक 22 अप्रैल, 2025) पर विशेष
दिल दहलाया, पहलगाम ने,
अब निश्चित प्रतिकार करो।
मछली की सी आँख देखकर,
अर्जुन जैसा वार करो।।
मारी गोली, धर्म पूछ कर,
आँखोँ को अँगार करो।
वैमनस्य, पर बढ़े न घर मेँ,
इसका भी कुछ ध्यान करो।।
सीमाएं सब रहें सुरक्षित,
बेशक जतन हज़ार करो।
गुप्तचरी भी और सुदृढ़ हो,
इस पर प्रखर विचार करो।।
सँकेतोँ को उनके समझो,
तनिक न हीलहवाल करो।
रणभेरी बज चुकी, रद्द अब,
उन से सभी क़रार करो।।
दरिंदगी के मूल भाव का,
जड़ से ही सँहार करो।
आका भी बिलबिला उठें,
उर पर ऐसी टँकार करो।
बढ़े नहीं नैराश्य तनिक भी,
आशा का सँचार करो,
मोदीजी, सब साथ आपके,
अब तो वज्र प्रहार करो..!