बड़े रफ़्तार में हैं हम ,

बड़े रफ़्तार में हैं हम ,
कामयाबी के राह पे हैं हम ,
दुनियाँ जीतने निकले हैं ,
आसमान छूने की चाह में हैं हम ,
पर जो सोच के आये थे ,
उससे बिछड़ गए हैं,
जिंदगी की चालबाजियों में ,
हम उलझ गए हैं ,
सुकून की चादर भी अब बदल गयी है ,
चिंताएं बदन से आकर लिपट गयी है,
हाँ सब कुछ मिल गया है ,
पर बहुत कुछ छिनने के बाद ,
सोचती हुँ जो छीन गया है ,
फिर से कैसे पकड़ु उसका हाथ ,
इसलिए अब ,
धीमी जिंदगी की चाह में हैं हम ,
अपने वजूद के प्यार में हैं हम ,
ख़ुद को जीतने निकले हैं ,
सुकून की छत की तलाश में हैं हम ||