Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Mar 2024 · 1 min read

नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब

नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण बराबरी में आना नहीं चाहिए ऐसा सभी को लगता हैं । लेकिन उसी मनुष्य का उपयोग कर मै कैसे बड़ा बन जाऊ यही सभी की धारना होती हैं ।

154 Views
Books from Raju Gajbhiye
View all

You may also like these posts

#परिहास-
#परिहास-
*प्रणय*
तुम्हारा प्रेम,
तुम्हारा प्रेम,
लक्ष्मी सिंह
नारी शक्ति
नारी शक्ति
भरत कुमार सोलंकी
मोह की मिट्टी ----
मोह की मिट्टी ----
Shally Vij
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
तुम्ही हो
तुम्ही हो
Buddha Prakash
Dear Younger Me
Dear Younger Me
Deep Shikha
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
Shivkumar Bilagrami
जिस कदर उम्र का आना जाना है
जिस कदर उम्र का आना जाना है
Harminder Kaur
तुमसे मिलके
तुमसे मिलके
Mamta Rani
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
"वो शब्द क्या"
Dr. Kishan tandon kranti
खुद से ज्यादा अहमियत
खुद से ज्यादा अहमियत
Dr Manju Saini
मैं अपने बारे में क्या सोचता हूँ ये मायने नहीं रखता,मायने ये
मैं अपने बारे में क्या सोचता हूँ ये मायने नहीं रखता,मायने ये
Piyush Goel
वो मुझे पास लाना नही चाहता
वो मुझे पास लाना नही चाहता
कृष्णकांत गुर्जर
उसे भूला देना इतना आसान नहीं है
उसे भूला देना इतना आसान नहीं है
Keshav kishor Kumar
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
*अदरक (बाल कविता)*
*अदरक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मज़िल का मिलना तय है
मज़िल का मिलना तय है
Atul "Krishn"
स्त्री
स्त्री
Ajay Mishra
नशा
नशा
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
3566.💐 *पूर्णिका* 💐
3566.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
२०२३
२०२३
Neelam Sharma
शिकस्त मिली ओलंपिक में उसका कोई गम नहीं ,
शिकस्त मिली ओलंपिक में उसका कोई गम नहीं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
sp133 मैं अज्ञानी /वामपंथी सेकुलर/ वह कलम की धार
sp133 मैं अज्ञानी /वामपंथी सेकुलर/ वह कलम की धार
Manoj Shrivastava
बुन लो सपने रात ढलती चांदनी में
बुन लो सपने रात ढलती चांदनी में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
The_dk_poetry
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
Lokesh Sharma
हो मुखर
हो मुखर
Santosh kumar Miri
Loading...