जारी सफ़र है अपना, सफ़र के बगैर भी

जारी सफ़र है अपना, सफ़र के बगैर भी
पहुंचना है कहीं मंजिल पर कदम के बगैर भी!
कुछ तो घटता ही होगा दिन के दरमियां में
रात जारी है अपनी, चांद के बगैर भी!
उसका लौट जाना दुनियां की रिवायत से पूछो
खुशबू जारी है उसकी, सांसो के बगैर भी!
प्यास ने थक कर आखिर पानी ही तो मांगा
कभी पिया था समंदर सारा, प्यास के बगैर भी!
पैगाम रोज भेजती हूं उसे खत के बगैर भी
सफर जारी है अपना, सफ़र के बगैर भी