कभी-कभी लगता है कि मैं बस एक अधूरी कहानी का किरदार हूँ, जिसे

कभी-कभी लगता है कि मैं बस एक अधूरी कहानी का किरदार हूँ, जिसे लोग अपनी ज़रूरत के हिसाब से जोड़ते हैं, और फिर वक़्त के साथ भुला देते हैं।
मैं बहुतों की ज़िंदगी में आया, पर कभी किसी की कहानी का अंत नहीं बना।
ना किसी की दुआओं में ठिकाना मिला।
लेकिन जब भी किसी की ज़िंदगी में आया, सच कहूं – पूरे दिल से निभाया।
मुस्कुराते चेहरों के पीछे अपना सुकून तक लुटा दिया, हर रिश्ता इस उम्मीद में निभाया कि शायद इस बार टिक जाऊँ।
पर किस्मत को ये भी मंजूर नहीं था…
अब समझ आया, मैं सिर्फ़ लम्हा हूँ- कहानी नहीं।
पर हाँ, एक बात तय है – जब तक रहूंगा, इस सफर में, हर लम्हा ऐसा जियूँगा, कि जाते-जाते भी कोई कहे, ‘हाँ, एक लड़का आया था…
थोड़े वक़्त के लिए, मगर दिल में हमेशा के लिए बस गया…!