मुक्तक

लोग देते हैं क्यों , ज्ञान इज दा
भाता नहीं मुझे उनका , फरमान इज दा
क्यूँ कर हम सुनें उनकी , यूँ ही
पसंद आता नहीं हमें उनका , ज्ञान इज दा
हमारी भी अपनी सोच है काफी
खुद की कोशिशों पर करें एतबार
क्यूँ करें दूसरों पर भरोसा इज दा
खुद की क्यों न बना लें पहचान इज दा