रोते क्यों हो रे जहाँ, समय देख प्रतिकूल ।

रोते क्यों हो रे जहाँ, समय देख प्रतिकूल ।
सही समय है चेत ले, किये जगत जो भूल।।
सफल वही जग में हुए, जिनको याद अतीत।
दर दर ठोकर खा मरे, है जो लिए गृहीत।।
संजय निराला
रोते क्यों हो रे जहाँ, समय देख प्रतिकूल ।
सही समय है चेत ले, किये जगत जो भूल।।
सफल वही जग में हुए, जिनको याद अतीत।
दर दर ठोकर खा मरे, है जो लिए गृहीत।।
संजय निराला