ज़िन्दगी बंदगी में जाएगी

ज़िन्दगी बंदगी में जाएगी
रोशनी रोशनी में जाएगी
जिस घड़ी सामने वो आएगा
वह घड़ी बेख़ुदी में जाएगी
वो मेरा और मैं हूं अब उसका
यह ख़ुशी शाइरी में जाएगी
उससे बातें हज़ार करनी है
इक सदी बतकही में जाएगी
कोई तैराक़ ही बताएगा
यह नदी किस नदी में जाएगी
– शिवकुमार बिलगरामी