विषयों में रस है नहीं

विषयों में रस है नहीं
विषय सभी रसहीन ।
जो विषयों के रसिक हैं
उनकी बुद्धि मलीन ।।
अंधी हैं कर्मेंद्रियां
ज्ञानेन्द्रियां अपंग ।
हम दोनों को साधकर
वश में करें अनंग ।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
विषयों में रस है नहीं
विषय सभी रसहीन ।
जो विषयों के रसिक हैं
उनकी बुद्धि मलीन ।।
अंधी हैं कर्मेंद्रियां
ज्ञानेन्द्रियां अपंग ।
हम दोनों को साधकर
वश में करें अनंग ।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी