*आत्मश्लाघा के धनी, देते है अब ज्ञान।
कोलकाता की मौमीता का बलात्कार और उसकी निर्मम हत्या....ये तत्
लिबासों की तरह, मुझे रिश्ते बदलने का शौक़ नहीं,
गीत- नयी हसरत लिए चल तू...
सर्द रातों में समन्दर, एक तपन का अहसास है।
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
मस्अला क्या है, ये लड़ाई क्यूँ.?
तू रहोगी मेरे घर में मेरे साथ हमें पता है,
" ढले न यह मुस्कान "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
कितनों की प्यार मात खा गई
धेनु चराकर सोचते, प्यारे नंद किशोर (कुंडलिया)
आसान नहीं हैं बुद्ध की राहें
समय की धारा
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}