रचना
हे भगवान!
————-
हे भगवान ! तुम्हें नमन करूं
तुम्हें प्रणाम करूं
तुम्हें आंखों में बसा लूं तो,
तुम्हें सांसों में समा लूं तो ।
हे भगवान ! तुम्हें नमन करूं
तुम्हें प्रणाम करूं
महिमा थोड़ी गा लूं तो,
हृदय में बसा लूं तो ।
हे भगवान ! तुम्हें नमन करूं
तुम्हें प्रणाम करूं
तुमसे चलने का पथ पूछूं तो,
तुमसे जीने का मतलब पूछूं तो ।
हे भगवान ! तुम्हें नमन करूं
तुम्हें प्रणाम करूं
साकार तुम्हें मानूं तो,
निराकार तुम्हें मानूं तो ।
हे भगवान ! तुम्हें नमन करूं
तुम्हें प्रणाम करूं
ज्ञान तुम्हें मानूं तो,
विज्ञान तुम्हें मानूं तो ।
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक घर तारौली गूजर, फतेहाबाद, आगरा, 283111, उत्तर प्रदेश