स्क्रीन टाइम और सेहत

डिजिटल युग में स्क्रीन टाइम: वरदान या अभिशाप
आज की डिजिटल दुनिया में स्क्रीन का उपयोग लगभग हर व्यक्ति की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट और टेलीविजन अब केवल मनोरंजन के साधन नहीं रहे, बल्कि शिक्षा, व्यापार, और सामाजिक संवाद का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुके हैं। हालांकि, अत्यधिक स्क्रीन टाइम के दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।
Statista (2024) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक औसत स्मार्टफोन उपयोगकर्ता प्रतिदिन 5 घंटे से अधिक समय स्क्रीन पर बिताता है। यह समय उन लोगों के लिए और भी अधिक हो सकता है, जो आईटी प्रोफेशनल्स, ऑनलाइन क्लासेज़ लेने वाले छात्र, डॉक्टर, पत्रकार, और कंटेंट क्रिएटर्स जैसे क्षेत्रों से जुड़े हैं। इन पेशों में स्क्रीन का उपयोग अनिवार्य होता है, लेकिन एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो बिना किसी ठोस कारण के सोशल मीडिया, वीडियो गेम, या ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म पर घंटों बिता देता है। यह आदत न केवल उनकी उत्पादकता को प्रभावित करती है, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती है।
आजकल माता-पिता भी बच्चों को शांत रखने या व्यस्त रखने के लिए उन्हें मोबाइल या टैबलेट थमा देते हैं। हालांकि यह एक आसान उपाय लगता है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह बच्चों की पढ़ाई, मानसिक विकास और सामाजिक कौशल को प्रभावित करता है। सवाल यह उठता है कि क्या हमें इस आदत पर नियंत्रण रखना चाहिए? यदि हां, तो कैसे? आइए जानते हैं कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम के क्या नुकसान हैं और इसे संतुलित रखने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
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1. आंखों पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम से आंखों से संबंधित कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। American Academy of Ophthalmology के अनुसार, हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखने से आंखों को आराम मिलता है और डिजिटल आई स्ट्रेन कम होता है।
• डिजिटल आई स्ट्रेन: लगातार स्क्रीन देखने से आंखों में जलन, खुजली और धुंधलापन महसूस हो सकता है।
• ब्लू लाइट एक्सपोज़र: स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे सिरदर्द और थकान हो सकती है।
• ड्राई आई सिंड्रोम: स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से पलकें झपकने की गति कम हो जाती है, जिससे आंखों की नमी कम हो सकती है।
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2. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
Harvard Medical School (2023) द्वारा किए गए एक अध्ययन में 2,000 लोगों को शामिल किया गया, जिसमें यह पाया गया कि जो लोग 6 घंटे से अधिक स्क्रीन पर समय बिताते हैं, उनमें 68% को नींद और एकाग्रता की समस्या होती है।
• तनाव और अवसाद: अत्यधिक स्क्रीन टाइम डोपामिन रिलीज़ को प्रभावित कर सकता है, जिससे व्यक्ति बार-बार स्क्रीन की ओर आकर्षित होता है। लंबे समय तक ऐसा करने से तनाव और अवसाद के लक्षण विकसित हो सकते हैं।
• सोशल मीडिया एडिक्शन: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बार-बार स्क्रॉल करने की आदत डालते हैं, जिससे व्यक्ति वास्तविक दुनिया से कटने लगता है।
• एकाग्रता में कमी: लगातार डिजिटल डिस्ट्रैक्शन के कारण ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
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3. नींद पर असर
National Sleep Foundation के अनुसार, जो लोग सोने से 1 घंटा पहले स्क्रीन बंद कर देते हैं, उनकी नींद 25% तक बेहतर हो जाती है।
• मेलाटोनिन का स्तर गिरना: रात में स्क्रीन देखने से मेलाटोनिन हार्मोन कम बनता है, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
• स्लीप डिसऑर्डर: देर रात मोबाइल या लैपटॉप देखने से नींद आने में देरी होती है और व्यक्ति बार-बार जागता रहता है।
• सुस्ती और थकान: स्क्रीन टाइम बढ़ने से दिनभर सुस्ती और सिरदर्द बना रहता है।
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4. शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
WHO के अनुसार, शारीरिक रूप से कम सक्रिय लोग हृदय रोगों के शिकार होने की 30% अधिक संभावना रखते हैं।
• पोस्टुरल प्रॉब्लम: लंबे समय तक झुककर बैठने से गर्दन, पीठ और कंधों में दर्द की समस्या बढ़ सकती है।
• मोटापा और डायबिटीज: स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से शारीरिक गतिविधियाँ कम हो जाती हैं, जिससे मोटापा और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
• हृदय रोगों का खतरा: लंबे समय तक निष्क्रिय रहने से हृदय की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।
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5. बच्चों और किशोरों पर प्रभाव
American Academy of Pediatrics के अनुसार, 5-18 वर्ष के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम 2 घंटे प्रतिदिन से अधिक नहीं होना चाहिए।
• सीखने की क्षमता पर असर: अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों की रचनात्मकता और एकाग्रता को प्रभावित करता है।
• आक्रामक व्यवहार: हिंसक वीडियो गेम देखने से बच्चों में आक्रामक प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
• सामाजिक कौशल में कमी: स्क्रीन की लत के कारण बच्चे दोस्तों और परिवार के साथ कम बातचीत करने लगते हैं।
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स्क्रीन टाइम को संतुलित करने के उपाय
• 20-20-20 नियम अपनाएँ: हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।
• स्क्रीन ब्रेक लें: हर घंटे में 5-10 मिनट का ब्रेक लें और हल्की एक्सरसाइज़ करें।
• ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करें: मोबाइल और लैपटॉप में नाइट मोड या ब्लू लाइट फिल्टर ऑन करें।
• सोने से पहले स्क्रीन बंद करें: सोने से 1 घंटा पहले स्क्रीन से दूरी बनाएं।
• बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम सीमित करें: उनके लिए एक निश्चित समय तय करें और शारीरिक खेलों को प्रोत्साहित करें।
• डिजिटल डिटॉक्स करें: हफ्ते में एक दिन “नो स्क्रीन डे” मनाएँ और किताबें पढ़ें, योग करें या परिवार के साथ समय बिताएँ।
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निष्कर्ष
तकनीक हमारी ज़िंदगी को आसान बनाती है, लेकिन इसका संतुलित उपयोग ही सेहत के लिए लाभदायक होता है। हमें चाहिए कि हम तकनीक के गुलाम न बनें, बल्कि इसे नियंत्रित तरीके से उपयोग करें। याद रखें, “तकनीक आपके लिए है, आप तकनीक के लिए नहीं!”