*बहारें*

*तेरी आहट से जागी फिर से,
सोई थी जो धड़कन मेरी।
सांसों में गुलाब खिले हैं,
तेरी यादों की बगिया हरी।
रूठी थी जो चांदनी रातें,
फिर से चमकने आई हैं।
बुझी हुई थी जो आँखें,
फिर सपनों से भर आई हैं।
तेरी राहों को तकते-तकते,
आँखों में सावन आया था।
अब तेरी मुस्कान से देखो,
फिर से सूरज खिल आया है।
मेरा सूना आँगन महका,
तेरे कदमों की आहट से।
दिल फिर से नग़मे गाने लगा,
तेरी मीठी सी चाहत से।
मत जाना फिर यूँ छोड़ के,
वरना साँसें भी रूठ जाएँगी।
अब जो लौटी है बहारें,
तो उम्र भर साथ निभाएँगी।