एक पल भी

गीतिका
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एक पल भी नहीं था भुलाया हमें।
साथ चलना बहुत रास आया हमें।
मंजिलें दूर थी पास आती रही।
हर कदम साथ तुमने बढ़ाया हमें।
जब थकन थी हमें खूब सोने दिया।
जागते तुम रहे ना जगाया हमें।
प्यार के बोल प्रिय गुनगुनाते रहे।
जब स्वयं के कभी पास पाया हमें।
थी कठिन राह जब ठोकरें भी लगी।
आप आगे बढ़े और उठाया हमें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य