पुस्तकें हमेशा तुम्हें बुलाती हैं
पुस्तकें हमेशा कुछ बोलती हैं,
अगर तुम चाहो तो जीवन के रहस्यों को खोलती हैं
अपने पन्नों पर दिलकश नज़ारों को छुपाती हैं
पुस्तकें हमेशा तुम्हें बुलाती हैं I
पुस्तकें अपनी बाहों में इतिहास को छुपाती हैं
पन्नों को एक बार पलटो तो सही
यह तुम्हारे स्वर्णिम इतिहास को दिखाती हैं
पुस्तकें हमेशा तुम्हें बुलाती हैं I
यह तुम्हारे प्रियसी की आभा भी दिखIती हैं
तुम भले ही दूर चले जाओ
फिर भी निस्वार्थ अपने पास बुलाती हैं
पुस्तकें हमेशा तुम्हें बुलाती हैं I
पुस्तकें ज्ञान की गंगा भी बहाती हैं
एक बार डुबकी लगाओ तो सही
यह वैतरणी भी पार कराती हैं
पुस्तकें हमेशा तुम्हें बुलाती हैं I
एक बार अपनाकर तो देखो
यह तुम्हें अपनों से सुहाती है
पुस्तकें हमेशा तुम्हें बुलाती हैं I
– सुधीर कुमार