अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रम्

अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतः सुखम्।। “अर्थात” :- जो आलस करते हैं उन्हें विद्या नहीं मिलती, जिनके पास विद्या नहीं वो धन नहीं कमा सकता, जो निर्धन हैं उनके मित्र नहीं होते और मित्र के बिना सुख की प्राप्ति नहीं…🙏🏃🏻♂️राष्ट्रहित सर्वप्रथम। विद्या और ज्ञान होना अति आवश्यक है। ये है तो हम अपने समाज और अपने देश-धर्म का हित और अहित को समझने के योग्य है, वरना तो हम पैदा हुए जीवनपर्यंत जीवोपार्जन किया और मृत्युलोक के लिए प्रस्थान कर चले, जिस कारण हमारा देश-धर्म के लिए कोई लक्ष्य और उद्देश्य नही रहा, जोकि व्यर्थ जीवन है। प्रणाम, नमस्कार, वंदेमातरम्…भारत माता की जय ‼️🚭