है मुमकिन नही कि हर वक्त हो साथ वो मेरे
है मुमकिन नही कि हर वक्त हो साथ वो मेरे
फिर भी दिल हर वक्त उनकी तासीर करता है
मेरी हर सांस में इस कदर समाये हैं वो
कि हर इक शय पे उनका चेहरा नजर आता है
ऐ खुदा मुझे महफिल ए जहां न चाहिये
आरजू है कि बस मैं रहूं जहां
निशाने बंदगी हो मेरा प्रियतम वहां
दिल की तमन्ना है देखूं उनको बार बार
मेरी खामोश निगाहें ढूंढ़ती उन्हे हर बार
साये उनकी यादों के कुछ ऐसे हमें बांधे हैं
कितना भी जायें फिर लौट वहीं आते हैं
तमन्ना है कि कभी बैठे साथ बिना किये वक्त का हिसाब
सुने हम एक दूजे के दिल की बात
हो तेरे हाथ में मेरा हाथ
समेट ले हम प्यार की सौगात