ज़िन्दगी की ग़ज़ल

ज़िन्दगी की ग़ज़ल
तेरी राहों में कांटे भी हैं, गुलाब भी,
ज़िन्दगी, तेरा हर रंग है लाजवाब भी।
कभी हंसाए, कभी रुलाए, ये अदा,
जैसे बरसात संग धूप का हिसाब भी।
कभी ख्वाबों की चादर में लिपटी मिली,
कभी टूटी उम्मीदों का था हिसाब भी।
जो समझ ले, वही इस सफर का मिज़ाज,
कभी आसान, कभी मुश्किल इम्तिहान भी।
चलते रहना ही बस इसका दस्तूर है,
न कोई ठहराव, न कोई जवाब भी।
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