यथार्थ से परे
यथार्थ से परे मेरी भाषा की देवनागरी
जिस अक्षरों में मेरा नाम है
उस पर घिरी हुई है तुम्हारी सभ्यताओं का होना
यह बोध हमें बनारस की वरूणा का होना
तुम्हारी अभिव्यक्ति है, तुम हो, मेरी भाषा है।
मेरी भाषा हिन्दी है
हिन्दी मतलब हिंदोस्तान की भाषा
सिन्धु की भाषा प्रयाग होना है
महाकुम्भ होना है
मेरी भाषा!
जिसका ‘ज्ञ’ अक्षर तुम हो
काशी होना।
वरुण सिंह गौतम
#poem #kashi #language @VarunSinghGautam