– अजीब किरदार था तुम्हारा –
– अजीब किरदार था तुम्हारा –
मेरी दुकान पर तुम्हारा आना,
मुझे सामान दिखाने के बहाने रिझाना,
सामने से निकलने पर मुस्कुराना,
अपनी बहन व सहेली को कोहनी लगाना,
टेबल टेनिस का खेल मुझे दिखाना,
अपने मार्क्स मुझे दिखाना,
अपनी विज्ञान में विशेष योग्यता है,
ऐसा हमे बताना,
मेरे दुर्गम हालत में भी मुझे अपनाने की अपनी स्वीकृति दिखाना,
फिर किसी और की हो जाना,
प्रिये अजब किरदार था तुम्हारा ,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान