उम्र जुड़ रही तारीखों में ।

उम्र जुड़ रही तारीखों में ।
निशां छोड़ रही रुख़सारों पे ।
दर्ज हुए हिसाब निगाहों में ।
छूटे कुछ गुजरी जीवन रहो में ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@…
उम्र जुड़ रही तारीखों में ।
निशां छोड़ रही रुख़सारों पे ।
दर्ज हुए हिसाब निगाहों में ।
छूटे कुछ गुजरी जीवन रहो में ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@…