कुंडलिया

कुंडलिया
हुरियारा पीकर गया, होली वाली भंग
हरा लाल को कह रहा, भूल गया सब रंग
भूल गया सब रंग, बहू को कहता अम्मा
माँ को कहता मॉम, पेट को कहता टम्मा
कह बाबा मुस्काय, नशे का छोड़ सहारा
लेकर हाथ गुलाल, प्रेम से मल हुरियारा
-दुष्यंत ‘बाबा
मानसरोवर, मुरादाबाद।