चार रँग की होली

(शेर)- नफरत मिटे और दिल जुड़े, खेलें ऐसी हम होली।
छाये खुशी सबके चेहरों पर, ऐसी हो यह होली।।
अखण्ड हमारा भारत बनें, ऐसी हो हमारी बोली।
ऐसे ही चार रंगों से आज, खेलेंगे हम यह होली।।
—————————————————————
खेलेंगे, खेलेंगे हम तो, चार रंग की होली।
इन रंगों से निकलेगी, देशभक्ति की बोली।।
खेलेंगे, खेलेंगे हम तो————————।।
पूर्व-पश्चिम, उत्तर- दक्षिण, इन रंगों से मिलायेंगे।
इनसे बनेगा अखण्ड भारत, नफरत को मिटायेंगे।।
इन रंगों से भरेंगे हम, प्यार से सबकी झोली।
खेलेंगे, खेलेंगे हम तो——————–।।
जोड़ेंगे सभी जाति- धर्म को, होली इन रंगों से खेलकर।
और जोड़ेंगे दिल सबके हम, सबसे गले हम मिलकर।।
इन रंगों से बनायेंगे हम, भाईचारे की टोली।
खेलेंगे, खेलेंगे हम तो——————–।।
लाल रंग में देशभक्ति है, हरा रंग है समृद्धि सबकी।
सफेद रंग है शान्ति का, नीला रंग है आजादी सबकी।।
इन रंगों से सजायेंगे हम, सद्भाव की रंगोली।
खेलेंगे, खेलेंगे हम तो——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)