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1 Mar 2025 · 1 min read

इससे बढ़कर पता नहीं कुछ भी ।

इससे बढ़कर पता नहीं कुछ भी ।
आप में आपका नहीं कुछ भी ।।

कह भी सकता था अलविदा हमसे।
उसने हमसे कहा नहीं .कुछ भी ।।

खुद को देखा है ढूंढ कर हमने ।
हमको खुद में मिला नहीं कुछ भी ।।

कितने टूटे हैं कितने बाक़ी हैं ।
ज़िंदगी से कहा नहीं कुछ भी ।।

इससे बढ़कर पता नहीं कुछ भी ।
आप में आपका नहीं कुछ भी ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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