*मधुमास का मधुर एहसास*

मधुमास का मधुर एहसास
फिर बसा गगन में मधुमास,
फिर खिला धरा का हर एक पलाश।
फिर बही पवन मधुर सुगंधित,
फिर सजी प्रकृति अति आनंदित॥
कोयल की कुहूक मन मोहे,
मौसम प्रेम की बात संजोए।
अमवा की डाली महक रही है,
भ्रामरी रस में बहक रही है॥
सरसों का तन सुनहरा हुआ,
फूलों से उपवन निखरा हुआ।
सजल नयन में सपने जागें,
मन मधु गान नया ही गाए॥
नदियाँ गाएं मीठी तानें,
बगिया में भौंरे प्रेम बखानें।
धरती के आँचल में छाया उल्लास,
हरियाली का आया मधुमास॥
यह ऋतु प्यार, यह ऋतु हर्ष,
भर दे हर जीवन में नव उत्कर्ष।
मधुमास का यह मधुर एहसास
लाए धरती पर श्रृंगार का उजास॥
©® डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”