पत्ते हरे हो जायेंगे …….
पत्ते हरे हो जायेंगे …….
कर्जदार हूँ
हाँ सच कहता हूँ
इस मिट्टी का
मैं कर्ज़दार हूँ
मेरे शैशव काल से
मेरे यौवन काल तक
और यौवन काल से
मेरी वृद्धावस्था तक
मुझ पर अपना अटूट विशवास
दर्शाने वाले हर जन का
मैं कर्ज़दार हूँ
मेरी जर्जर होती काया पर
आज भी लोग अपनी आस्था
का दीप प्रज्वलित करते हैं
हर कोई अपनी मन्नत का धागा
मेरे जिस्म पर बाँध कर मुझसे
अपनी मनोकामना को
पूर्ण करने की प्रार्थना करता है
सबके अपने अपने दुःख हैं
किसी को औलाद चाहिए,
किसी को धन चाहिए
किसी को घर चाहिए
कोई काया से दुखी है
तो कोई अपनों से दुखी है
सबके दुःख देख कर
मैं मन ही मन में पिघलता हूँ
हर कोई अपनी आस्था के
धागे से मुझे बाँध जाता है
और मैं ऊपर वाले से
सबके दुःख दूर करने के लिए
हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूँ
प्रभु कृपा से
जिनकी मन्नत पूर्ण हो जाती है
वो अपने बंधन से मुझे मुक्त करते हैं
और अपनी श्रद्धा के सुमन चढाते हैं
मुझे भी बाहुत खुशी मिलती हैं
जब किसी के दुःख का
निवारण होता है
लेकिन
इन सब के बावजूद
मन में एक भाव
मुझे परेशान करता है
आज तक जो भी आया
सिर्फ अपने दुःख के
निवारण के लिए आया
मैं आज तक इंतज़ार करता हूँ कि
कोई एक तो आये
जो मुझसे
सड़क पर बैठे गरीब के
आंसू हरने की प्रार्थना करे
भूख से बिलबिलाते
बचपन के लिए
रोटी की दुआ मांगे
किसी घायल के
ठीक होने की दुआ मांगे
अपनों से ठुकराए वृद्धों को
अपनों से मिलवाने की प्रार्थना करे
गैरों के सुख की चाहत करे
आये दिन युद्धों से होने वाली
विनाशलीला को
समाप्त करने की प्रार्थना करे
जिस दिन
अपनों के लिए ही नहीं
गैरों के लिए भी
अगर कुछ धागे मुझपर
बांधे जायेंगे
सच कहता हूँ दोस्तों
मेरे दिल में
मन्नत का धागा बाँधने वाले
हाथों के वास्ते
इस जर्जर बदन में
आस्था के
पत्ते हरे हो जायेंगे, पत्ते हरे हो जायेंगे ………..
सुशील सरना