बहते रहो सदा
ग़ज़ल
चलते रहो हवाओं सा, बहते रहो सदा
जो भी मिले जहाँ में, कहते चलो सदा
टूटे हैं सारे ख़्वाब, बिखरने लगे हैं हम
फिर भी यूं ही जहाँ में, रहते चलो सदा
आँसू की बारिशों में, डूबे हैं हम मगर
चेहरे पे मुस्कुरा के, सहते चलो सदा
दुश्मन भी हो करीब, तो हाथ मत हटाओ
सबको गले लगाकर, चलते चलो सदा
जो भी मिला सफ़र में, दिल से दुआ दीजिए
अपनी तरफ़ से बस यूँ, देते चलो सदा