*आया है ऋतुराज, हाथ में ले पिचकारी (कुंडलिया)*

आया है ऋतुराज, हाथ में ले पिचकारी (कुंडलिया)
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पिचकारी की चाहिए, अब तो ऐसी धार
सबके मन में रस भरे, सबके मन में प्यार
सबके मन में प्यार, नेह कुछ और बढ़ाऍं
इंद्रधनुष-से रंग, बिखर जीवन में जाऍं
कहते रवि कविराय, अहो फागुन आभारी
आया है ऋतुराज, हाथ में ले पिचकारी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451