*है राज तुम्हारा अंग्रेजी, तुम अब भी भारत की रानी (राधेश्याम

है राज तुम्हारा अंग्रेजी, तुम अब भी भारत की रानी (राधेश्यामी छंद)
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1)
है राज तुम्हारा अंग्रेजी, तुम अब भी भारत की रानी
है शान तुम्हारी बढ़-चढ़कर, दिखती हो अति तुम अभिमानी
2)
जो चरण तुम्हारे छूता है, वह ही आगे बढ़ जाता है
गिटपिट-गिटपिट जो बोल रहा, वह पढ़ा-लिखा कहलाता है
3)
वरदान तुम्हारा जिस पर है, सबसे आगे वह चलता है
वह उगता हुआ महासूरज, जो जग में कभी न ढलता है
4)
दो शब्द कहे जिस पर तुमने, वह कार्य धन्य हो जाता है
अब मूल मातृभाषा से बढ़, अनुवाद तुम्हारा भाता है
5)
अंग्रेजी में जो भाषण है, अंग्रेजी में जो लेख लिखा
अंग्रेजी में जो कविता है, उसमें ही सबको प्राण दिखा
6)
अंग्रेजी के पढ़ने में ही, अब दिखती सिर्फ कमाई है
वह उच्च प्रतिष्ठित हुआ व्यक्ति, जिसको अंग्रेजी आई है
7)
सब कला और संस्कृति तुम में, जग का हर ज्ञान तुम्हारा है
हे अंग्रेजी तुम जग-स्वामी, तुमसे ही यह जग सारा है
8)
भारत की भाग्य-विधाता तुम, सारी दुनिया की माता हो
इज्जत धन-दौलत पाने को, केवल तुमसे बस नाता हो
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451