मनमीत
बांध लिया मनमीत ने,
मिले मुझे चितचोर।
मोहन नैनन में बसे,
देखें मेरी ओर।।१.
केवल दर्शन प्यास है,
जीवन की इक आस।
गजानंद मन में बसो,
करता है अरदास।।२.
*****
कवि- गजानंद डिगोनिया ‘जिज्ञासु’
बांध लिया मनमीत ने,
मिले मुझे चितचोर।
मोहन नैनन में बसे,
देखें मेरी ओर।।१.
केवल दर्शन प्यास है,
जीवन की इक आस।
गजानंद मन में बसो,
करता है अरदास।।२.
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कवि- गजानंद डिगोनिया ‘जिज्ञासु’