चाहतें देख कर लगता था कि बिछड़ना ही नही

चाहतें देख कर लगता था कि बिछड़ना ही नही
नज़र ऐसी लगी कि कोई ताल्लुक बचा ही नही
कैसा डर है, जो मूंद लेते हो आँखें अपनी……
यक़ीन करो बिछड़ने से कोई मरता ही नही
मुझमें तो ख़ैर अब भी तू बाकी है
तुझमें तो मैं कभी था ही नही….