ग़ज़ल : कई क़िस्से अधूरे रह गए अपनी कहानी में
जब बगावत से हासिल नहीं कुछ हुआ !
निकले क्या पता,श्रीफल बहु दामाद
अधिकांश लोगों को अपने से "बेहतर" नहीं, "कमतर" पसंद आते हैं।
अजब मामला
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
कर्मयोगी करें इसकी व्याख्या।
दोहा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हाथ पर हाथ धरे कुछ नही होता आशीर्वाद तो तब लगता है किसी का ज
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
*स्वर्ग में सबको मिला तन, स्वस्थ और जवान है 【गीतिका】*
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला
जा के बैठेगी अब कहां तितली