मम्मी ……
मम्मी ……
मम्मी !
एक खिलौना
मैं भी लूँगा
स्वप्न सलौना
मैं भी लूँगा
जिसमें
तू संग मेरे सोये
वो एक बिछौना
मैं भी लूँगा
चाबी का है
बंदर, घोड़ा
चाबी के हैं गुड्डा,गुड्डी
अच्छे हैं सब लेकिन मम्मी
मम्मी तो मैं असली लूँगा
सुशील सरना /