Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Feb 2025 · 1 min read

अश्कों की धार से

फलक रो रहा है जमीं की पुकार से
पूछती हैं कलियां भीगी बहार से
क्यूं बदन तर-बतर है अश्कों की धार से
क्या तुम भी आ रहे हो रफी साहब की मजार से
जो बदन तर-बतर है अश्कों की धार से

Loading...