शंकर छंद

कृष्ण मेघ नीलाम्बर छाये, मंद चली बयार
मनमीत बने अलि कुञ्जर तरु, देह पड़ी फुहार।
ग्रीसम रितु में अल्हड़ पुरवा, और संग प्रसून
मनवा हर्षित नीलकंठ सा, होत दूना दून।।
कृष्ण मेघ नीलाम्बर छाये, मंद चली बयार
मनमीत बने अलि कुञ्जर तरु, देह पड़ी फुहार।
ग्रीसम रितु में अल्हड़ पुरवा, और संग प्रसून
मनवा हर्षित नीलकंठ सा, होत दूना दून।।